देहरादून। लॉकडाउन के 50 दिन से ज्यादा गुजरने के बाद जब मजदूर सड़क पर पैदल चलने को मजबूर हैं और सरकारें कान में रुई डाल कर तमाशा देख रही हैं। ऐसे में भीषण गर्मी के बीच सड़क पर चलते मजदूरों के लिए एक नई आशा तब देखने को मिली, जब देहरादून के पत्रकार गजेंद्र रावत को रास्ते में एक मजदूर दंपत्ति मिले।
मजदूर दंपत्ति के सिर पर उनके घर का सामान और कपड़ों के थैले भी थे। पत्रकार रावत ने बिना समय गवाएं उन मजदूरों को न सिर्फ अपनी गाड़ी में लिफ्ट देकर उन्हें आगे जाकर छोड़ा, बल्कि उनकी व्यथा को सुनकर उनका दिल भी पसीज गया और उन्होंने आगे रास्ते के लिए उनके भोजन व किराया आदि का भी इंतजाम किया।
एक ओर जहां पत्रकारिता पर गोदी मीडिया के कारण सवाल खड़े हो रहे हैं, ऐसे दौर में पत्रकार रावत द्वारा दिखाई गई राह से सड़क पर चल रहे मजदूरों के लिए उम्मीद की किरण ही जगी है कि लोगों को ऐसे पीड़ित मजबूर मजदूरों के लिए सिर्फ चिंता करने की आवश्यकता नहीं, बल्कि इनके लिए वास्तव में सामने आकर खड़ा होने की बड़ी आवश्यकता है। ज्ञात रहे कि यह मजदूर दंपत्ति देहरादून से लखीमपुर उत्तर प्रदेश के लिए पैदल जा रहे थे, जिसकी दूरी लगभग 600 किमी. है।
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