Hindi diwas : देश में 'हिंदी राजभाषा' को लेकर 74 साल बाद भी नहीं बन सकी एक राय, जानिए हिंदी दिवस की कब हुई थी शुरुआत और क्यों मनाया जाता है - Mukhyadhara

Hindi diwas : देश में ‘हिंदी राजभाषा’ को लेकर 74 साल बाद भी नहीं बन सकी एक राय, जानिए हिंदी दिवस की कब हुई थी शुरुआत और क्यों मनाया जाता है

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Hindi diwas : देश में ‘हिंदी राजभाषा’ को लेकर 74 साल बाद भी नहीं बन सकी एक राय, जानिए हिंदी दिवस की कब हुई थी शुरुआत और क्यों मनाया जाता है

मुख्यधारा डेस्क

आज 14 सितंबर है। हमारे देश में यह तारीख हिंदी दिवस के रूप में मनाई जाती है। ‌आज ही के दिन 1949 में हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था। भाषा वह होती है जो दुनिया के किसी भी देश की पहचान होती है। ऐसे ही हिंदी हमारे देश की शान और पहचान है। ‌

भारत में हिंदी को 77 प्रतिशत से अधिक लोग बोलते हैं और समझते हैं। हिंदी उन भाषाओं में से एक है, जो भारत को एकजुट करती है। इसके बावजूद आज देश में ही गैर हिंदी राज्य हिंदी को लेकर सौतेला व्यवहार करते हैं।

भारत दुनिया का शायद पहले ही देश होगा जहां अपनी राजभाषा को लेकर 74 सालों के बाद एक राय नहीं बन सकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दक्षिण के राज्य विशेषतौर पर तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश में हिंदी को लेकर आज भी विरोध देखा जाता है। आए दिन साउथ के राज्यों के नेताओं के हिंदी भाषा को लेकर विरोध भरे स्वर सुनने को मिल जाते हैं।

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दक्षिण भारत में हिंदी को लेकर वोट बैंक की राजनीति भी होती रही है। भले ही भारत में राजभाषा स्वीकार करने में दक्षिण के राज्यों में विरोध क्यों न हो लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी खूब सराही जाती है।

हिंदी इंडो-आर्यन भाषा अंग्रेजी और मंदारिन चीनी के बाद विश्व स्तर पर सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। कई रिपोर्ट्स क मानें तो दुनिया भर में 600 मिलियन लोग एक दूसरे संचार करने के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग माध्यम के रूप में करते हैं। हिंदी हमारे देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल हमारी राजभाषा है, बल्कि यह हमारी अपनी संस्कृति का माध्यम भी है। हिंदी के माध्यम से न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के करोड़ों लोग अपनी भावनाओं और विचारों को बेहतर तरीके से व्यक्त कर सकते हैं।

भारत के बाहर भी हिंदी कई देशों में बोली जाती है और पढ़ाई जाती है

भारत के अलावा आज हिंदी कई देशों में बोली और समझी जाती है। ‌इसके अलावा पिछले कुछ समय से दुनिया के कई ताकत व नेता कभी-कभी हिंदी में भी संबोधन करते हुए दिखाई दे जाते हैं।

‌भारत के बाहर हिंदी जिन देशों में बोली जाती है, उनमें पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मॉरिशस, यमन, युगांडा और त्रिनाड एंड टोबैगो, फिजी आदि देश शामिल हैं। आज हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।

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बता दें कि विश्व पटल पर हिंदी की लोकप्रियता को देखते हुए अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में हिंदी भाषा में स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों ही कोर्सेज किए जा सकते हैं। हिंदी में वहां से पीएचडी कोर्स के लिए अप्लाई किया जा सकता है। लंदन यूनिवर्सिटी में भी हिंदी में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों लेवल के कोर्स चलाए जा रहे हैं। शिकागो विश्वविद्यालय में हिंदी में एक साल, दो साल, तीन साल और चार साल का कोर्स चलाए जा रहे हैं। इनके अलावा यहां पर हिंदी साहित्य और कल्चर पर आधारित एडवांस्ड कोर्स भी कराए जाते हैं।

टोक्यो यूनिवर्सिटी में 1909 से हिंदी पढ़ाई जा रही है। इसके अलावा देश में केंद्रीय स्थान भी विदेशी छात्रों को हिंदी भाषा की डिग्री और डिप्लोमा प्रदान करते हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा में केंद्रीय हिंदी संस्थान का मुख्यालय है। यहां हर साल कई देशों के छात्र-छात्राएं हिंदी सीखने आते हैं।

भारत में हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत आजादी के बाद हुई

बता दें कि साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो आजाद भारत के सामने कई बड़ी समस्याएं थीं। जिसमें से एक समस्या भाषा को लेकर भी थी। भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती थीं। ऐसे में राजभाषा क्या होगी, ये तय करना एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि, हिन्दी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। यही वजह है कि राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। भारत में हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत आजादी के बाद हुई थी, लेकिन इसकी नींव आजादी के पहले 1946 में ही रख दी गई थी। साल 1946 में 14 सितंबर के दिन ही पहली बार संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था। उसके बाद भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया।

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आधिकारिक तौर पर पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर, 1953 को मनाया गया था। हालांकि हिंदी को आधिकारिक भाषा चुनने के बाद ही गैर-हिन्दी भाषी राज्यों का विरोध शुरू हो गया। सबसे ज्यादा विरोध दक्षिण भारत के राज्यों से हो रहा था। विरोध को देखते हुए संविधान लागू होने के अगले 15 वर्षों तक अंग्रेजी को भी भारत की राजभाषा बनाने का फैसला लिया गया, लेकिन जैसे ही ये तारीख नजदीक आने लगी दक्षिण भारतीय राज्यों का अंग्रेजी को लेकर आंदोलन फिर से जोर पकड़ने लगा। इसलिए सरकार को 1963 में राजभाषा अधिनियम लाना पड़ा। इसमें अंग्रेजी को 1965 के बाद भी कामकाज की भाषा बनाए रखना शामिल था। राज्यों को भी अधिकार दिए गए कि वे अपनी मर्जी के मुताबिक किसी भी भाषा में सरकारी कामकाज कर सकते हैं। फिलहाल देश में 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला हुआ है।

हिंदी दिवस पर देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं

हिंदी को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाने के पीछे का कारण अनेक भाषाओं वाले राष्ट्र में प्रशासन को सरल बनाना था। हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाने के लिए कई लेखकों, कवियों और कार्यकर्ताओं की तरफ से भी प्रयास किया गया था। हिंदी दिवस के दिन पूरे देश में कई साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें लोग हिंदी साहित्य के महान कार्यों का जश्न मनाते हैं। राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार भी हिंदी दिवस पर मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू), राष्ट्रीयकृत बैंकों और नागरिकों को उनके योगदान व हिंदी को बढ़ावा देने के लिए दिए जाते हैं।

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14 सितंबर को स्कूलों और कॉलेजों में भी हिंदी दिवस के महत्व को लेकर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हमें कई उपाय भी करने होंगे। यदि हम कोई व्यवसाय करते हैं तो हम कोशिश कर सकते हैं कि समस्त साइन बोर्ड, नाम पट्टिकाएं, काउंटर बोर्ड, सूचना पट्ट आदि को हिंदी में अवश्य ही लिखें। सभी पपत्रों, दस्तावेजों, मुद्रित सामग्री और अन्य लेखन सामग्री हिंदी में मुद्रित (प्रिंट) करवाए जाएं। हो सके तो व्यवसायिक और व्यक्तिगत पत्रों को हिंदी में ही लिखा जाए। विजिटिंग कार्ड पूर्ण रूप से आकर्षक हिंदी में लिखे जाएं। लिखने में आसान हिंदी का प्रयोग करें ताकि सभी लोग समझ सकें। हिंदी का वाक्यों में संस्कृत के कठिन शब्दों का अनावश्यक प्रयोग न करें।

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