अक्षय तृतीया (Akshaya tritiya): धार्मिक और मांगलिक कार्यों के साथ सोना खरीदने की भी रही है परंपरा, भगवान परशुराम जयंती भी धूमधाम से मनाई जा रही - Mukhyadhara

अक्षय तृतीया (Akshaya tritiya): धार्मिक और मांगलिक कार्यों के साथ सोना खरीदने की भी रही है परंपरा, भगवान परशुराम जयंती भी धूमधाम से मनाई जा रही

admin
IMG 20230422 WA0013

Akshaya tritiya: धार्मिक और मांगलिक कार्यों के साथ सोना खरीदने की भी रही है परंपरा, भगवान परशुराम जयंती भी धूमधाम से मनाई जा रही

मुख्यधारा डेस्क 

देशभर में अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम की जयंती धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। वहीं आज दोपहर उत्तराखंड में मां गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं। सनातन धर्म और ज्योतिष शास्त्र में अक्षय तृतीया के त्योहार का विशेष महत्व होता है।

अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्धि मुहूर्त माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्षय तृतीया, गुड़ी पड़वा और विजयादशमी की तिथि को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। इसमें किसी भी तरह का शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त का विचार नहीं किया जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्षय तृतीया पर सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं। इस तिथि पर ही साल में इस तरह का संयोग बनता है। इस कारण से इसे अबूझ मुहूर्त कहा जाता है।

अक्षय तृतीया पर सूर्य अपनी उच्च राशि यानी मेष राशि में और चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में मौजूद होते हैं।अक्षय तृतीया के त्योहार के दिन पांचवां और छठा योग सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है।

अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य करने पर व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख और सौभाग्य का वास होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन शुभ मुहूर्त में सोना-चांदी की खरीदारी करने से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। नई शुरुआत और शुभ खरीदारी करने के लिए अक्षय तृतीया का विशेष महत्व होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर शुभ काम और नई शुरुआत करने पर अक्षय फल की प्राप्ति होती है। अक्षय तृतीया पर सोना और सोने से बने आभूषण की खरीदारी करना बेहत ही शुभ माना जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया त्योहार मनाया जाता है। अक्षय तृतीया का पर्व मांगलिक कार्यों को करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा आराधना करने का विधान होता है।

अक्षय तृतीया के दिन बिना शुभ मुहूर्त देखे किसी भी तरह का शुभ कार्य, खरीदारी या पूजा-अनुष्ठान किया जा सकता है। इसी दिन भगवान विष्‍णु के छठवें अवतार परशुराम जी का जन्‍म भी हुआ था।

हर साल अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि के पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न होकर देवराज इंद्र ने उन्हें वरदान दिया था। तब जाकर माता रेणुका के गर्भ से भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम जी महादेव भोलेनाथ के परम भक्त थे। उन्होंने शिवजी की कठोर तपस्या की थी तब शंकर जी ने प्रसन्न होकर उन्हें दिव्य अस्त्र परशु यानी फरसा दिया था। परशु को धारण करने के बाद ही वह परशुराम कहलाए।

भगवान परशुराम को चिरंजीवी रहने का वरदान मिला था। उनका वर्णन रामायण और महाभारत दोनों काल में होता है। उन्होंने ही श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र उपलब्ध करवाया था और महाभारत काल में भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया था।

मान्यता है कि परशुराम का जन्म धरती पर राजाओं द्वारा किए जा रहे अधर्म, पाप को समाप्त करने के लिए हुआ था। इस दिन विष्णु जी की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

परशुराम जी महादेव के परम उपासक होने के कारण ही उन्हें रुद्र शक्ति भी कहा जाता है।

Next Post

अच्छी खबर: एसजीआरआर विश्वविद्यालय (SGRR University) के डॉ. एश्वर्या प्रताप राजभवन में सम्मानित

अच्छी खबर: एसजीआरआर विश्वविद्यालय के डॉ एश्वर्या प्रताप राजभवन में सम्मानित डॉ एश्वर्या के शोध पत्र को राज्य में दूसरा स्थान, तीस हज़ार रुपये का पुरस्कार एसजीआरआर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने दी बधाई देहरादून/मुख्यधारा श्री […]
IMG 20230422 WA0003

यह भी पढ़े