देहरादून/मुख्यधारा
पेपर लीक प्रकरण के बाद चर्चाओं में आए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (uksssc) भी अब सवालों के घेरे में आ गया है। गत रात्रि आयोग के तत्कालीन सचिव संतोष बडोनी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के बाद सस्पेंड कर दिया गया है। इसके बाद अब आयोग के नए सचिव सुरेंद्र सिंह रावत द्वारा आर.एम.एस. टेक्नोसॉल्यूशन प्रा.लि. लखनऊ के सीईओ को परीक्षाएं संपन्न कराने में हुई अनियमितता के संबंध में कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। आयोग द्वारा अब आरएमएस कंपनी को काली सूची में डालने की तैयारी की जा रही है।
यूकेएसएसएससी (uksssc) के सचिव सुरेंद्र सिंह रावत द्वारा आर.एम.एस. टेक्नोसॉल्यूशन प्रा.लि. लखनऊ को जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि एसटीएफ की जांच में पेपर लीक किए जाने के संबंध में प्रथम दृष्टया आपके संस्थान की संलिप्तता पाई गई है, जो कि गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। एसटीएफ द्वारा आपकी कंपनी के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में पेपर लीक करवाने में आपकी कंपनी के कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई है। ऐसे आपराधिक एवं कदाचारयुक्त कृत्य के लिए क्यों न आपके संस्थान के खिलाफ नियमानुसार कानूनी कार्यवाही कर आपकी फर्म को काली सूची में डाल दिया जाए।
पढेंं नोटिस के अंश :-
उपरोक्त विषय के सम्बन्ध में अवगत कराना है कि आपकी कम्पनी आर०एम०एस० टैक्नोसॉल्यूशन प्रा०लि० द्वारा उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की विभिन्न पदों हेतु आयोजित की जाने वाली लिखित परीक्षाओं का संचालन किया गया है। आयोग द्वारा आपके संस्थान के माध्यम से दिनांक 4 व 5 दिसम्बर 2021 को करायी गयी स्नातक स्तरीय परीक्षा एवं दिनांक 26 सितम्बर 2021 को आयोजित करायी गयी सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक किये जाने के संबंध में स्पेशल टास्क फोर्स, उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा जांच की जा रही है। स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा की जा रही जांच में उपरोक्त परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक किये जाने के संबंध में प्रथम दृष्टया आपके संस्थान की संलिप्तता परिलक्षित हुई है जोकि एक गम्भीर अपराध की श्रेणी में आता है।
स्नातक स्तरीय परीक्षा में हुई गड़बड़ी के संबंध में पंजीकृत मुकदमे की विवेचना के दौरान गिरफ्तार अभियुक्तों में से दो अपराधी (जयजीत दास एवं अभिषेक वर्मा) आपकी कम्पनी के कर्मचारी है अर्थात् परीक्षा के पेपर लीक करवाने में आपकी कम्पनी के कर्मचारियों की संलिप्तता पायी गयी है। आपराधिक एवं कदाचारयुक्त कृत्य से आयोग की छवि धूमिल होने के साथ ही उक्त परीक्षाओं की संवेदनशीलता एवं शुचिता बाधित हुयी है।
उपरोक्त आपराधिक एवं कदाचारयुक्त कृत्य हेतु क्यों न आपके संस्थान के विरुद्ध नियमानुसार कानूनी कार्यवाही अमल में लाते हुए आपकी फर्म को काली सूची में डाल दिया जाय।
अतः इस सम्बन्ध में सम्पूर्ण वस्तुस्थिति / तथ्यों सहित कारण बताते हुये अपने संस्थान का पक्ष आयोग के समक्ष इस पत्र के निर्गत होने की तिथि से एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करें। उक्त अवधि के भीतर यदि आपके संस्थान का कोई उत्तर आयोग में प्राप्त नहीं होता है तो यह मान लिया जाएगा कि संस्थान को इस सम्बन्ध में कुछ नहीं कहना है और तदोपरान्त आयोग द्वारा नियमानुसार निर्णय ले लिया जाएगा।
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