कांग्रेस की कमजोर प्रत्याशियों वाली 16 सीटों को जिताने का जिम्मा हरीश रावत, प्रीतम सिंह व गणेश गोदियाल के कंधों पर
मुख्यधारा/देहरादून
64 प्रत्याशी मैदान में उतारने के बाद कई सीटों पर कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। माना जा रहा था कि कुछ सीटों पर प्रत्याशियों को बदला जा सकता है, किंतु अब हरीश रावत ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन प्रत्याशियों का नाम घोषित किया गया है, उन्हीं का नाम फाइनल है और किसी को बदला नहीं जा रहा है। हां कुछ सीटें जरूर कमजोर हैं, ऐसे में कांग्रेस की कमजोर प्रत्याशियों वाली 16 सीटों को जिताने का जिम्मा हरीश रावत, प्रीतम सिंह व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के कंधों पर डाला गया है। हालांकि अभी छह सीटों पर प्रत्याशियों को घोषित किया जाना बाकी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या समय रहते कांग्रेस डैमेज कंट्रोल करने में सफल हो पाएगी!
हरीश रावत ने किसी भी सीट पर प्रत्याशी नहीं बदले जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि उन पर आठ कमजोर सीटों को जिताने की जिम्मेदारी है। इसी तरह चार सीटें प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल व चार सीटों पर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताने के लिए काम करेंगे। हालांकि उन्होंने कमजोर सीटों के नाम का उल्लेख नहीं किया है।
बताते चलें कि गत दिवस कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में लैंसडौन क्षेत्र से आए कांग्रेस कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए थे और प्रत्याशी बदलने की मांग कर रहे थे। यह मामला मीडिया की सुर्खियां बना था। इसके अलावा रामनगर सीट पर हरीश रावत का नाम घोषित किए जाने के बाद रंजीत रावत व उनके समर्थक जबर्दस्त गुस्से में हैं और रणजीत रावत को निर्दलीय चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति बन रही है। इसी तरह सल्ट सीट पर भी रणजीत रावत के पुत्र विक्रम रावत निर्दलीय ताल ठोक सकते हैं।
इसके अलावा ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग, यमुनोत्री व यमकेश्वर सीट पर भी कांग्रेस में जोरदार बगावत के कारण कांग्रेस को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
यमकेश्वर सीट पर कांग्रेस के बड़े जनाधार वाले नेता महेंद्र सिंह राणा निर्दलीय मैदान में उतरने जा रहे हैं। इससे कांग्रेस को यहां बड़ा नुकसान होने की संभावना बन गई है।
इसी तरह पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीशचंद्र दुर्गापाल भी टिकट काटे जाने के बाद नाराज चल रहे हैं।
इन सीटों पर कांग्रेस में चल रहा घमासान
- रामनगर
- कालाढुंगी
- लालकुआं
- लैंसडौन
- यमकेश्वर
- यमुनोत्री
- गंगोत्री
- रुद्रप्रयाग
- गंगोलीहाट
- बागेश्वर
- नैनीताल
- हल्द्वानी
- काशीपुर
- बाजपुर
- सितारगंज
- नानकमत्ता
- देहरादून कैंट
- ऋषिकेश
- ज्वालापुर
- झबरेड़ा
- खानपुर
- घनसाली
- सहसपुर
- रायुपर
- बीएचईएल
- रानीपुर
अब देखना यह होगा कि कांग्रेस समय रहते डैमेज कंट्रोल करने में सफल हो पाती है या नहीं!
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