शंभू नाथ गौतम
आज एक ऐसा महत्वपूर्ण दिवस है, जिसमें मां की तरह सेवा-भाव और समर्पण है। मरीजों की सेवा करते-करते अपनी जिंदगी कब गुजर जाती है पता ही नहीं चलता। सही मायने में यह दूसरे लोगों के लिए समर्पित है। इसमें अपना कर्तव्य निभाते-निभाते जिंदगी कब बीत जाती है, पता नहीं चलता।
आज 12 मई है। इस दिन दुनिया भर में ‘अंतरराष्ट्रीय नर्सेज दिवस’ (international nurses day) मनाया जाता है। मरीजों के प्रति उनकी सेवा, साहस और उनके सराहनीय कार्यों के लिए यह दिन हर साल मनाया जाता है। भारत की नर्सों की पूरी दुनिया सेवा और समर्पण के लिए अलग पहचान है।
नर्स को शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक दृष्टि के माध्यम से रोगी की देखभाल करने के लिए प्रेरित किया जाता है। डॉक्टर जब दूसरे रोगियों को देखने में व्यस्त होते हैं, तब रोगियों की चौबीस घंटे देखभाल करने की जिम्मेदारी नर्स को दी जाती है। नर्स न केवल रोगियों के मनोबल को बढ़ाती है, बल्कि रोगी को बीमारी से लड़ने और देखरेख के साथ स्वस्थ होने के लिए प्रेरित भी करती है।
नर्स दिवस (international nurses day) मनाने का उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में नर्सों के कार्यों की सराहना करना और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करना है। हर साल इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स इस दिवस का आयोजन करता है। यह दिन फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म की वर्षगांठ का भी प्रतीक है। हर साल इंटरनेशनल नर्सेज डे पर थीम रखी जाती है।
इस साल की थीम नर्सेस : ए वॉयस टू लीड- इन्वेस्ट इन नर्सिंग एंड रिस्पेक्ट राइट्स टू सिक्योर ग्लोबल हेल्थ’ रखी गई है। पूरे दुनिया ने कोरोना महामारी के दौरान अस्पतालों में नर्सेज की सेवा भाव को देखा। अपनी जान को खतरे में डालकर अपने घर परिवार से दूर होकर भी मरीजों के लिए दिन रात अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर रही हैं।
फ्लोरेंस नाइटइंगेल के जन्मदिवस पर नर्सेज डे मनाया जाता है
नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटइंगेल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था। नाइटइंगेल एक महान महिला थीं, जिन्होंने लोगों की सेवा करने में अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया। उनके जन्मदिन पर ही इस दिन को 1974 से मनाने की शुरुआत हुई थी। तब से लेकर आज तक यह दिवस इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (international nurses day) के रूप में मनाया जाता है।
हर साल 12 मई को राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार दिया जाता है। फ्लोरेंस नर्स के साथ-साथ एक समाज सुधारक भी थी। क्रीमियन युद्ध के दौरान नर्सों ने जिस तरह से काम किया था वह वाकई सराहनीय था। उन्हें ‘द लेडी विद द लैंप’ कहा गया, क्योंकि वो घायल सैनिकों की देखभाल के लिए रात में घूमती थी।
फ्लोरेंस ने नर्सिंग को महिलाओं के लिए एक पेशे के रूप में बदल दिया। आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर आइए नर्सों की अमूल्य सेवाओं के लिए आभार प्रकट करें।