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उत्तराखंड में अब पूर्णकालिक डीजीपी बनेंगे, अभिनव कुमार को मिलेगी नई जिम्मेदारी, ये ऑफिसर नए पुलिस मुखिया के रूप में आगे

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उत्तराखंड में अब पूर्णकालिक डीजीपी बनेंगे, अभिनव कुमार को मिलेगी नई जिम्मेदारी, ये ऑफिसर नए पुलिस मुखिया के रूप में आगे

शंभू नाथ गौतम

अब राज्य सरकारों के पुलिस महानिदेशक, डायरेक्टर जनरल पुलिस (डीजीपी) की नियुक्ति में नियम के विरुद्ध मनमानी नहीं चलेगी। अब प्रदेश सरकारों को पुलिस सुधार फैसले के अनुसार डीजीपी की नियुक्ति करनी होगी।

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक मनमर्जी से बनाए जाने को लेकर राज्य सरकारों के लचर रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई । सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की स्थायी नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार के साथ-साथ कुछ राज्यों को भी नोटिस जारी किया है। प्रदेशों में पूर्णकालिक डीजीपी नियुक्ति के बजाय कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश और बंगाल समेत सात राज्यों से नियुक्ति को लेकर जवाब तलब किया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने छह सप्ताह के अंदर सरकारों से जवाब मांगा है। यह नोटिस स्थायी नियुक्ति में आदेशों की अवहेलना को लेकर दिया गया है। अगर बात उत्तराखंड की करें तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने पसंदीदा आईपीएस अफसर अभिनव कुमार को अशोक कुमार के रिटायर होने के बाद कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया था।

आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार की डीजीपी के रूप में ताजपोशी 30 नवंबर 2023 को की गई थी। दस महीने बाद प्रदेश में एक स्थायी डीजीपी की नियुक्ति की चर्चा फिर से तेज हो गई है। यह नियुक्ति तब हुई जब पांच राज्यों में डीजी रैंक के अधिकारियों की कमी के कारण सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कार्यकारी डीजीपी नियुक्त करने का विकल्प अपनाया गया।

इसके तहत, उन अधिकारियों को प्राथमिकता दी गई जो एडीजी रैंक में थे और 25 साल की सेवा पूरी कर चुके थे। इस प्रकार अभिनव कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

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तीन दिन पहले नियमित डीजीपी के चयन के लिए डीपीसी (विकास प्रस्ताव समिति) की बैठक हुई, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों के नामों पर विचार-विमर्श किया गया। डीपीसी ने तीन नाम यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) को भेजे हैं। इन तीन नामों में मौजूदा कार्यकारी डीजीपी अभिनव कुमार का नाम शामिल नहीं है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनके स्थान पर नए नामों पर विचार किया जा रहा है।

इस बार की सूची में 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ का नाम भी शामिल है, जिन्होंने हाल ही में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। सेठ की वरिष्ठता और अनुभव को देखते हुए उनकी उम्मीदवारी पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उनके कार्यकाल को आगे बढ़ाया जाएगा या वह प्रदेश के 13वें डीजीपी के रूप में नियुक्त होंगे।

दूसरे स्थान पर 1995 बैच के ही अधिकारी पीवीके प्रसाद और तीसरे स्थान पर 1997 बैच के आईपीएस अमित कुमार सिन्हा का नाम है। शासन जल्द यूपीएससी की सिफारिश का परीक्षण कर निर्णय लेगा। वहीं, दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, चंडीगढ़ और झारखंड को डीजीपी की स्थायी नियुक्त को लेकर जारी किया। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य पीठ ने सुनवाई के बाद यह नोटिस जारी किया है।

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1996 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार को पिछले साल 30 नवंबर को उत्तराखंड के डीजीपी पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह उस शिथिलता से हुआ था, जो देश के पांच राज्यों के लिए बरती गई थी। इसके तहत कहा गया था कि जहां डीजी रैंक के अधिकारी नहीं हैं, वहां 25 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके एडीजी रैंक के अधिकारी को कार्यकारी डीजीपी बनाया जा सकता है। लेकिन, इस बीच देश के कई राज्यों को सुप्रीम कोर्ट से इस व्यवस्था को लेकर फटकार भी पड़ी। राज्य सरकार की ओर से नियमित डीजीपी के लिए सात पुलिस अफसरों के नाम यूपीएससी को भेजे गए। पिछले दिनों यूपीसीएससी ने नामों की समीक्षा कर तीन नामों का पैनल तैयार किया और इसका कार्यवृत्त उत्तराखंड सरकार को भेज दिया। नामों के पैनल में पहले स्थान पर रहे दीपम सेठ पांच साल की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पूरी कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने पसंदीदा अफसर अभिनय कुमार को क्या नई जिम्मेदारी देते हैं अगले कुछ दिनों में तय हो जाएगा। वहीं अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो प्रदेश में ढाई सालों में चार कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति की जा चुकी है। वर्तमान में यह पद आईपीएस प्रशांत कुमार संभाल रहे हैं।

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