चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) के लिए पंजीकरण होगा अनिवार्य - Mukhyadhara

चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) के लिए पंजीकरण होगा अनिवार्य

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चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) के लिए पंजीकरण होगा अनिवार्य

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

हिंदू धर्म के ये खास महत्वपूर्ण चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री उत्तराखंड में स्थित हैं। हिंदू धर्म में दो तरह की चार धामयात्रा की जाती है। एक बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा और दूसरी बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वर और द्वारका धाम की यात्रा।ये चारों धाम इतने पवित्र हैं कि इनके बारे में मान्यता है कि इन धाम के दर्शन करने से व्यक्ति को समस्त पापों से छुटकारा मिल सकता है और अंत समय में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।चारधाम यात्रा 2024 के लिए मार्च के अंत तक तीर्थयात्रियों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय होने के बाद पर्यटन विभाग पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण सिस्टम को अपडेट किया जा रहा है। इस वर्ष भी यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य रहेगा।

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 प्रदेश सरकार ने चारधाम यात्रा को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। पर्यटन विभाग ने यात्रा व्यवस्थाओं के लिए गढ़वाल मंडल आयुक्त को पांच करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है। इस राशि को केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में तीर्थयात्रियों को बेहतर व्यवस्थाओं व सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा। इसके साथ ही पर्यटन विभाग ने भी चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए पंजीकरण की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इस बार पंजीकरण के लिए सिस्टम को अपडेट किया गया है, जिसमें पंजीकरण करते समय यात्रियों को धामों में दर्शन के लिए भीड़ और ठहरने की व्यवस्था की स्थिति के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जिससे यात्री अगली तिथि को पंजीकरण करने का प्लान बना सकता है।

बता दें कि आठ मार्च को महाशिवरात्रि के दिन केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित होगी, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुलेंगे। इस बार 10 मई को अक्षय तृतीया है। परंपराओं के अनुसार अक्षय तृतीय को गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट खुलते हैं। हालांकि, मंदिर समितियों की ओर से कपाट खुलने की औपचारिक घोषणा अभी नहीं की गयी है। तिथि तय होने के बाद तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए पंजीकरण शुरू किया जाएगा। 1950 के बाद से, वास्तविक गंतव्य और राष्ट्रीय हिंदू धार्मिक कल्पना की वस्तु दोनों के रूप में चार धाम का महत्व काफी बढ़ गया है।”धार्मिक पर्यटन” से उत्साहित और अखिल भारतीय हिंदू संस्कृति के अस्तित्व की बात करने वाले स्थलों द्वारा मजबूर रूढ़िवादी हिंदू आबादी के बढ़ने से, चार धाम पूरे दक्षिण एशिया और विशेष रूप से प्रवासी भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य बन गया है।

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बंगाली, मारवाड़ी, उड़िया, मराठी, गुजराती, दिल्लीवासी और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लोग। आज, औसतन तीर्थयात्रा के मौसम में, जो लगभग 15 अप्रैल से दिवाली तक (नवंबर में कभी-कभी) रहता है, सर्किट में सैकड़ों हजारों पर्यटक आते हैं। मानसून से पहले दो महीने की अवधि में मौसम सबसे भारी होता है, जो आम तौर पर जुलाई के अंत में आता है। बारिश शुरू होने के बाद, साइटों पर यात्रा करना बेहद खतरनाक हो जाता है। बारिश शुरू होने से पहले ही, सुरक्षा एक बड़ी चिंता है, क्योंकि व्यापक सड़क निर्माण और भारी यातायात ने चट्टानों को गंभीर रूप से अस्थिर कर दिया है, जिससे घातक भूस्खलन और बस/जीप दुर्घटनाएं एक नियमित घटना बन गई हैं। एक सीज़न में मृत्यु दर अक्सर 200 से अधिक हो जाती है। कुछ तीर्थयात्री बारिश समाप्त होने के बाद और बर्फ के कारण स्थलों के अगम्य होने से पहले भी स्थलों पर जाते हैं। जबकि तीर्थयात्रा कठिन चुनौतियों का सामना करती है, जिसमें खड़ी पहाड़ियों, घने जंगलों और नदी पार करने के माध्यम से ट्रेक शामिल हैं, यह अनुभव उन सभी के लिए बेहद समृद्ध है जो इसे करते हैं।

तीर्थस्थलों का शांत वातावरण, वहां किए जाने वाले पवित्र अनुष्ठानों के साथ मिलकर,यात्रा के आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाता है। बदरीनाथ हाईवे पर परेशानी का सबब बना पागलनाला आगामी चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों के लिए परेशानी खड़ा नहीं करेगा। अब एनएचआईडीसीएल और टीएचडीसी की ओर से इस समस्या का समाधान निकाला गया है। पागलनाला में 40 मीटर लंबी और 15 फीट चौड़ी सड़क बनाई जाएगी। पहले यहां पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना की सुरंग व डैम साइट का मलबा डाला जाएगा जिसके बाद यहां सड़क बनाई जाएगी। उम्मीद है कि यह प्रयोग यहां कारगर साबित होगा।

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बता दें कि बीते वर्ष हुई ज्यादा बारिश से नाले में बहकर आया टनों मलबा चारधाम यात्रा पर पहुंचे तीर्थयात्रियों के साथ ही स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बना रहा। तीन दिनों तक यहां वाहनों की आवाजाही भी बंद रही। एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढांचागत विकास ) की ओर से पागलनाला में सुरंग निर्माण का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था लेकिन हाईवे के दोनों ओर भू-धंसाव के कारण सुरंग निर्माण की अनुमति नहीं मिल पाई। इसके बाद यहां करीब 90 मीटर लंबे ब्रिज के निर्माण का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया जिसकी स्वीकृति अभी तक नहीं मिल पाई है। अब आगामी चारधाम यात्रा को देखते हुए एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों ने टीएचडीसी के अधिकारियों से विचार-विमर्श कर पागलनाला के ट्रीटमेंट का निर्णय लिया है। पागलनाला में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना का मलबा डाला जाएगा जिसके बाद यहां करीब 40 मीटर लंबी तक 15 फीट चौड़ी सड़क बनाई जाएगी।

एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक ने बताया कि पागलनाला में मलबा डंपिंग जोन बनाया जाएगा। इसके ऊपर से 15 फीट चौड़ी सड़क बनाई जाएगी। पानी की निकासी के लिए ह्यूम पाइप लगाए जाएंगे। इस पर जल्द निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। चारधाम तीर्थयात्रियों की दूर होगी परेशानी केदारनाथ धाम की कठिन और कठिन यात्रा में अब भक्तों के लिए धाम तक जाने वाले रास्ते में भक्ति संगीत शामिल होगा।संस्कृति विभाग अब गौरीकुंड से मुख्य धाम केदारनाथ तक पूरे पैदल मार्ग को स्पीकर से सुसज्जित करेगा। इस तरह पूरे 18 किलोमीटर के पैदल मार्ग पर श्रद्धालुओं को तीर्थयात्रा के दौरान किसी भी समाचार या महत्वपूर्ण निर्देश की जानकारी आसानी से मिल सकेगी। गौरीकुंड से
केदारनाथ तक यात्री भक्ति संगीत का आनंद ले सकेंगे। बजट की पुष्टि के बाद संस्कृति विभाग इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम शुरू कर देगा। वहीं यह स्पीकर सिस्टम आपातकालीन स्थिति में भी काम आएगा।

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केदारनाथ के 18 किमी लंबे पैदल मार्ग पर हर साल तीर्थयात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों का तांता लगा रहता है।अचानक मौसम परिवर्तन या आपातकालीन स्थिति के मामले में, सभी तीर्थयात्रियों तक समाचार पहुंचाना मुश्किल होता है। ऐसी परिस्थिति में साउंड सिस्टम की स्थापना तीर्थयात्रियों के लिए फायदेमंद होगी और उन्हें आपातकालीन समाचार तुरंत प्रदान करने में मदद करेगी। गंगा आरती में व्यापक सुधार होगा राज्य का संस्कृति विभाग उन ६ स्थानों पर भी बड़े पैमाने पर सुधार करने की तैयारी कर रहा है जहां गंगा आरती होती  है। वहीं, यमुनोत्री, केदारनाथ पैदल मार्ग, केदारनाथ धाम और ऋषिकेश में गंगा रिसॉर्ट को केवल साउंड सिस्टम से ही दुरुस्त किया जाएगा। वहीं अन्य समय में विभिन्न प्रमुख पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के लिए एलईडी योजनाओं पर निर्देश एवं सरकारी योजनाएं प्रसारित की जाएंगी।

संस्कृति विभाग की निदेशक का कहना है,”हमने प्रस्ताव जमा कर केंद्र को भेज दिया है। बजट की पुष्टि होते ही काम तुरंत शुरू कर दिया जाएगा। इससे दुनिया भर से केदारनाथ आने वाले तीर्थयात्रियों को स्थानीय संस्कृति, पर्यटन स्थलों और अन्य संबंधित जानकारियों से आसानी से अवगत कराया जा सकेगा। साथ ही जरूरत के समय आपातकालीन जानकारी और निर्देश तीर्थयात्रियों तक आसानी से पहुंचाए जा सकेंगे। वैसे भी चारधाम की यह यात्रा पूरी तरह से मौसम के मिजाज पर निर्भर है। कब मौसम बिगड़ जाए या कब बारिश आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। पिछले साल की तरह ही इस बार भी ऑलवेदर रोड भी यात्रा में निश्चित तौर पर परेशानी की सबब बनने वाला है। कई स्थानों पर या तो निर्माण पूरा नहीं हुआ है या फिर पहाड़ से बड़े-बड़े बोल्डर सड़क पर आने की समस्या अभी से ही सामने आ रही है।

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ऑलवेदर रोड को लेकर दावे तो बड़े-बड़े किए जा रहे हैं कि लेकिन हकीकत इस रोड पर यात्रा करने पर सामने आ ही जाती है। इधर, बदरी-केदार मंदिर समिति इन दोनों धामों की व्यवस्थाओं में सुधार की कवायद में जुटी है। समिति के अध्यक्ष अजेंद्र ने बातचीत में कहा कि इस बार कई नई व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इन दोनों धामों में तमाम वीआईपी और वीवीआईपी दर्शन के लिए आते हैं। समिति ने तय किया है कि इन
लोगों से प्रति व्यक्ति तीन सौ रुपये शुल्क लिया जाएगा। दान की व्यवस्था को पारदर्शी बनाया जा रहा है। इसके लिए कांच के बाक्स लगवाए जा रहे हैं और निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे में लगाए जा रहे हैं। इसके बाद तीर्थ-पुरोहित खुद दान स्वीकार न करके उसे दानपात्र में ही डालने के लिए श्रद्धालुओं को प्रेरित करेंगे।

( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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