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पलटी बाजी : उद्धव सरकार (Uddhav sarkar) गिन रही अंतिम सांसें, महाराष्ट्र की सियासत अब भाजपा की ‘मुट्ठी’ में

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शंभू नाथ गौतम

करीब 31 महीने पहले महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़कर और हिंदुत्व के मुद्दे को दरकिनार करके उद्धव ठाकरे (Uddhav sarkar) ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई थी। कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री उद्धव कई मौकों पर हिंदुत्व विचारधारा से कमजोर भी पड़े थे।

इसके अलावा उद्धव और शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत कई बार भाजपा हाईकमान को सीधे चुनौती भी देने लगे थे। भाजपा सही मौके की तलाश में थी।

आठ दिन पहले यानी 14 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र की यात्रा पर गए थे। इस दौरान पीएम मोदी पुणे और मुंबई में थे। पुणे के पास देहू शहर में प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के महान संत तुकाराम महाराज मंदिर में एक शिला का उद्घाटन किया था।

इस मौके पर पीएम ने एक जनसभा को भी संबोधित किया। उसके बाद शाम को प्रधानमंत्री मुंबई पहुंचे। मुंबई में आयोजित ‘मुंबई समाचार’ के द्विशताब्दी समारोह के दौरान आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी मंच पर मौजूद थे।

इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने उद्धव ठाकरे (Uddhav sarkar) की भी चर्चा की थी। उस समय उद्धव ठाकरे ने सोचा भी नहीं होगा ठीक 7 दिन बाद यानी 21 जून को उनकी सरकार और मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में आ जाएगी।

प्रधानमंत्री के महाराष्ट्र पहुंचने से कई दिन पहले भाजपा पूरी पटकथा तैयार कर चुकी थी। प्रधानमंत्री के मुंबई पहुंचने पर उद्धव ठाकरे सरकार में कद्दावर मंत्री एकनाथ शिंदे ने अलग राह पर चलने के लिए अपनी अंतिम तैयारी शुरू कर दी।

आखिरकार 21 जून को एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के कई विधायकों के साथ भाजपा शासित राज्य गुजरात के सूरत में पहुंचकर डेरा जमा लिया। बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे के इस प्लान पर भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने उनकी मदद की।

हिंदुत्व के मुद्दे पर एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ आते दिख रहे हैं

पिछले 24 घंटे में एकनाथ शिंदे कई बार मीडिया के सामने हिंदुत्व के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे कमजोर पड़ने को लेकर आरोप लगा रहे हैं। अब एकनाथ शिंदे और उनके शिवसेना के विधायक भाजपा शासित राज्य असम के गुवाहाटी में डेरा जमाए हुए हैं।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि शिवसेना में इतनी बड़ी बगावत हो गई उद्धव ठाकरे को इसकी भनक भी नहीं लगी। शिवसेना के अलावा सांसद और वरिष्ठ नेता संजय राउत पिछले 3 सालों से लगातार बयान दे रहे थे कि महाराष्ट्र में भाजपा कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसा हाल नहीं कर पाएगी। सूरत से गुवाहाटी पहुंचकर एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि उनके साथ 46 विधायक हैं। इसमें शिवसेना और निर्दलीय विधायक सब शामिल हैं. शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे एनसीपी-कांग्रेस वाले गठबंधन से नाराज हैं।

फिलहाल जो महाराष्ट्र में सियासी हालात हैं उससे माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे सरकार का जाना लगभग तय है। महाराष्ट्र सरकार शायद आखिरी सांसें गिन रही है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकर ने अपने ट्विटर बायो से मंत्री पद हटा लिया। उद्धव ठाकरे आज सीएम पद से इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं ठाकरे और राज्यपाल कोश्यारी को कोविड भी हो गया है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिना भाजपा के सहयोग किए एकनाथ शिंदे शिवसेना से बगावत नहीं कर सकते हैं। मंगलवार से शिवसेना से बगावत करने वाले शिंदे बार-बार हिंदुत्व का मुद्दा उठा रहे हैं। इसका साफ संकेत है कि वह अब आगे की सियासी पारी भारतीय जनता पार्टी के साथ खेलना चाहते हैं।

 

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