- दो दिवसीय उत्तराखण्ड मातृभाषा उत्सव (Uttarakhand Matribhasha Utsav) का शानदार आगाज
- प्रदेश की विभिन्न भाषाओं में बच्चों ने दी मनमोहक प्रस्तुति
- राज्य की विभिन्न भाषाओं में संवाद ने किया सबका ध्यान आकर्षित
- लोकभाषाओं को जीवित और संरक्षित करने में यह प्रयास कारगर सिद्ध होगा : धन सिंह रावत
- बहुभाषिकता को प्रोत्साहित करने में सेतु का काम करेगा उत्सव : जौनसारी
देहरादून/मुख्यधारा
राज्य में बोली जाने वाली तमाम भाषाओं के संवर्धन के लिये एससीआरटी उत्तराखण्ड के निर्देशन में दो दिवसीय उत्तराखण्ड मातृभाषा उत्सव (Uttarakhand Matribhasha Utsav) का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में पूरे प्रदेशभर के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग कर अपनी-अपनी भाषाओं में नाटक, गायन आदि विभिन्न क्रियाकलापों से खूब वाहवाही लूटी। बच्चों द्वारा लगभग 18 भाषाओं में प्रस्तुतिया दी गयी।
बुधवार को किसान भवन, रिंग रोड में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखण्ड की ओर से उत्तराखण्ड मातृभाषा उत्सव का आयोजन किया गया। पहले दिन शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम का उद्घाटन किया। तदोपरान्त मा सचिव विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड सरकार एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पद्मश्री वरिष्ठ रंगकर्मी माधुरी बवाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने वीडियो के माध्यम से बच्चों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम लोकभाषाओं को जीवित और संरक्षित करने में बड़ा कारगर सिद्ध होगा। उन्होंने कार्यक्रम आयोजन के लिये एससीईआरटी को शुभकामनायें देते हुए कहा कि लोकभाषाओं के संवर्धन के लिये हमारा प्रदेश पहला राज्य बने रावत ने विलुप्त होती लोकभाषाओं पर चिंता जाहिर की। उन्होंने चयनित छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए छात्रों का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से बच्चों में खोजबीन की प्रवृती को बढ़ावा मिलेगा।
कार्यक्रम में गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी, वाल्टी, बगाणी, पंजाबी, नेपाली, कौरवी, मार्छा और जाड़ जैसे लगभग 18 लोकभाषाओं में बच्चों ने नाटक, संवाद, लोकगीत और लोक कथाओं की मनमोहक प्रस्तुति देकर दर्शकों की जमकर तालियां बटोरी।
प्राथमिक विद्यालय जयहरिखाल, पौड़ी की छात्रा चित्रा पाठक ने कुमाउनी लोकभाषा में गीत गाकर और हरिद्वार के छात्रों ने कौरवी भाषा में नाटक से सबको मंत्रमुग्ध किया।
इस मौके पर निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण (एससीईआरटी) सीमा जौनसारी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से भारतीय सांस्कृतिक संपदा का संरक्षण, संवर्धन के साथ ही भाषाओं का बड़े स्तर पर प्रसार भी होता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की विलुप्त होती भाषाओं पर जमीनी स्तर पर कार्य किये जाने की आवश्यकता है। इसमें एससीईआरटी बखूबी अपना दायित्व निभा रहा है। उन्होंने कहा कि यह उत्सव विद्यालयों में बहुभाषिकता को प्रोत्साहित करने में सेतु का काम करेगा।
सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रामन ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मंशा के अनुरूप कक्षा 3 से 8 तक के छात्रों में मातृभाषाओं के प्रति सम्मान की भावना पैदा करना है।
वहीं अपर निदेशक एससीईआरटी डॉ आर.डी. शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के आयोजन के लिये पूरे प्रदेशभर के स्कूलों से छात्रों का चयन किया गया है।
इस मौके पर विभागाध्यक्ष, पाठ्यचर्या शोध एवं विकास प्रदीप रावत ने कहा कि विभाग की ओर से इस प्रकार के आयोजन आगे भी समय-समय पर किये जायेंगे।
कार्यक्रम में डॉ. नन्द किशोर हटवाल ने छात्रों को भाषा पर कई जानकारी दी। वहीं कार्यक्रम समन्वयक कैलाश डंगवाल ने बताया कि राज्य के सभी विद्यालयों में एक दिवसीय मातृभाषा उत्सव का आयोजन किया गया। जिसके बाद खण्ड और जनपदीय स्तर पर चयनित प्रतिभागियों का राज्यस्तीय कार्यक्रम के लिए चयन किया गया है।
इस मौके पर रंगकर्मी बीना बेन्जवाल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा आरके कुंदर, निदेशक प्राथमिक शिक्षा वन्दना गबर्याल, एससीईआरटी के अपर निदेशक, संयुक्त निदेशक व उप निदेशक के साथ ही उप निदेशक एनईपी शैलेन्द्र अमोली, आशा रानी पैन्यूली कंचन देवरानी, मनोज किशोर बहुगुणा, रविन्द्र दर्शन तोपाल, डॉ कामाक्षा मिश्रा, डॉ मोहन सिंह बिष्ट, सचिन नौटियाल और सन्दीप ढौडियाल आदि मौजूद रहे।
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