उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं (health services) की हालत - Mukhyadhara

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं (health services) की हालत

admin
health1

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं (health services) की हालत

h 1 17

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

लंबे जनांदोलन के बाद जन्मे उत्तराखंड ने 22 वर्ष पूरे कर 23 वें में प्रवेश कर लिया है। उत्तराखंड युवा तो हो गया, लेकिन इसे स्वयं के पैरों पर खड़ा होने में अभी वक्त लगेगा। पलायन, कमजोर आर्थिकी, बेरोजगारी, राजनीतिक अस्थिरता जैसी चुनौतियां अब भी राज्य के समक्ष मुंह बाए खड़ी हैं उत्तराखंड देश के मानचित्र पर 27 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। 13 जिलों के छोटे से उत्तराखंड में 71 प्रतिशत से अधिक भूभाग पर वन क्षेत्र है। राज्य के नौ जिले पूरी तरह पर्वतीय भूगोल के हैं,जबकि दो जिले पूर्ण मैदानी और दो मिश्रित भूगोल वाले।कुल मिलाकर लगभग 80 प्रतिशत पर्वतीय भूभाग वाला राज्य है उत्तराखंड।

यह भी पढें : सख्ती: लम्बे समय से गायब शिक्षकों के खिलाफ उत्तराखंड शिक्षा विभाग (Uttarakhand Education Department) ने की कार्रवाई करने की तैयारी

अपनी स्थापना के आरंभिक 22 वर्षों में उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या के रूप में उभर कर आया है।ऐसा नहीं है कि पिछली सरकारों ने पर्वतीय जिलों में चिकित्सक अथवा संसाधन बढ़ाने के प्रयास नहीं किए लेकिन यहां कोई चिकित्सक टिकता नहीं था। इसका कारण यहां की भौगोलिक स्थिति और संसाधनों का अभाव भी रहा, जिसमें नए चिकित्सक स्वयं को नहीं ढाल पा रहे थे। सरकारें भी इन्हें यहां रोकने में सफल नहीं हो पा रही थीं। इसके लिए सरकार ने मेडिकल कालेज में बांड आधारित शिक्षा व्यवस्था शुरू की मगर इसका भी बहुत अधिक फायदा नहीं मिला।सरकारी योजना के जरिये कम शुल्क पर शिक्षा प्राप्त करने और डिग्री लेने के बाद कई चिकित्सक बांड की शर्तों का उल्लंघन कर निकल गए। इससे सरकार को खासा झटका लगा। इस समस्या के समाधान के लिए कुछ वर्ष पहले सरकार ने डाक्टरों के वेतन में वृद्धि,  निवास समेत अन्य सुविधाएं बढ़ाकर इनकी तैनाती की। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में मेडिकल कालेज खोले जा रहे हैं ताकि मेडिकल कालेजों के अस्पतालों के जरिये स्थानीय जनता को लाभ दिया जा सके। हालांकि अभी भी पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाया जाना है। किसी भी राज्य अथवा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे की बात होती है तो सबसे पहले वहां की सड़कों की स्थिति का उल्लेख होता है, क्योंकि सड़क ही बुनियादी ढांचे के विकास की पहली सीढ़ी है।

यह भी पढें : ब्रेकिंग: उत्तराखंड में इस विभाग में हुई तबादलों (Transfers) की लिस्ट जारी, देखें पूरी सूची

सरकार अक्सर दावे करती है कि वह अपने पर्वतीय ग्रामीण समुदायों की हर प्रकार से सहायता कर रही है। चाहे वह स्वास्थ्य, शिक्षा,यातायात, रोजगार या अन्य कोई मूलभूत क्यों न हों। लेकिन वास्तविकता धरातल पर जीवन यापन कर रहे समुदायों के दर्द में बयान होता है। प्रश्न यह उठता है कि यदि सुविधाएं उपलब्ध हैं तो गांव के लोगों को इलाज के लिए शहरों की ओर रुख क्यों करनी पड़ती है? रोज़गार के लिए पलायन क्यों करना पड़ रहा है? शिक्षा का स्तर ऐसा क्यों है कि लोग बच्चों को पढ़ने के लिए शहर भेज रहे हैं? नेटवर्क के लिए ग्रामीण इतने परेशान क्यों हैं? ट्रांसपोर्ट के अभाव क्यों है? यह सभी सरकारी योजनाओं व दावों पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं। हालांकि पूरन सिंह यह भीमानते हैं कि एक तरफ जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है वहीं दूसरी ओर लोग आधुनिक सुख सुविधाओं के लालच में भी गांवों से पलायन कर रहे हैं। वहीं जलवायु परिवर्तन के कारण खेती में आ रहे बदलाव भी पलायन की वजह बनते जा रहे हैं अक्सर पर्वतीय समुदायों की मूलभूत सुविधाओं पर समाचार पत्रों में लेख और चर्चाएं होती रहती हैं। लेकिन धरातल पर इसके लिए किस प्रकार कार्य किया जाएगा इसका जबाब किसी के पास नहीं होता है।

(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)

यह भी पढें : सेना (Army) में भर्ती होने की तैयारी कर रहे उत्तराखंडी युवाओं के लिए अच्छी खबर: रानीखेत में 20 जून से होगी सेना की भर्ती रैली

Next Post

Kedarnath dham: केदारनाथ आपदा के 10 वर्ष पूरे होने पर श्री केदारनाथ धाम पहुंचे सीएम पुष्कर धामी (Pushkar Dhami), हताहत लोगों की मुक्ति के लिए की प्रार्थना

Kedarnath dham: केदारनाथ आपदा के 10 वर्ष पूरे होने पर श्री केदारनाथ धाम पहुंचे सीएम पुष्कर धामी (Pushkar Dhami), हताहत लोगों की मुक्ति के लिए की प्रार्थना रुद्रप्रयाग/मुख्यधारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी केदारनाथ आपदा के 10 वर्ष पूरे होने पर […]
p 1 20

यह भी पढ़े