पुरोला: अष्टोत्तरशत महापुराण ज्ञान यज्ञ (Ashtottarsat Mahapuran Gyan Yagya) के -समापन पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब - Mukhyadhara

पुरोला: अष्टोत्तरशत महापुराण ज्ञान यज्ञ (Ashtottarsat Mahapuran Gyan Yagya) के -समापन पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब

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पुरोला: अष्टोत्तरशत महापुराण ज्ञान यज्ञ (Ashtottarsat Mahapuran Gyan Yagya) के -समापन पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब

रवांई घाटी के विभिन्न क्षेत्रों से आई देव पालकियों, पुजारियों, यज्ञ पंडितों व व्यास गणों को दी पारम्परिक विदाई

नीरज उत्तराखंडी/पुरोला

नगर पंचायत पुरोला में कुमुदेश्वर महादेव नागराज मंदिर में आयोजित अष्टोत्तरशत 108 श्रीमदभागवत ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन मंगलवार को दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों से कथा श्रवण करने को श्रृद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी व कथा समापन के उपरांत विशाल भंडारे में प्रसाद ग्रहण कर देवताओं की पालकियों, ब्राह्मणों,पुजारी, मालियों तथा व्यासगणो को पारम्परिक विदाई दी गयी।

अष्टोत्तरशत श्रीमद्भागवत महा पुराण कथा के अंतिम दिन महा भंडारे के साथ ही गांव गांव से आये ईष्ट देवताओं की पालकियों, पुजारियों, पंडितों व अष्टोत्तरशत महापुराण में आये कथावक्ता व्यासगणो व मुख्य व्यास महाराज को यज्ञ समिति ने पारम्परिक तौर पर भव्य बिदाई दी।
कथा पुराण के समापन दिवस पर मुख्य व्यास शिवप्रसाद नौटियाल ने कहा कि माता-पिता व गुरु का सम्मान व सेवा किसी भी धर्म उपासना व तीर्थ ब्रत से लाखों गुना फलदायी है।

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कथा प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि छल कपट करना आत्मा का स्वभाव है किंतु पुराणों का श्रवण कर आत्म दर्शन करनें से तमाम बुराईयों का त्याग कर सत मार्ग पर चलना ही मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य है वंही मनुष्य जीवन में कथा,धर्म शास्त्रों,पुराणों का श्रवण कर ईश्वरीय चरणों में आत्मसात करना ही कलयुग में मुक्ती का मार्ग है।

श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर रामा सिराईं, कमल सिरांई, ठकराल,बनाल,मोरी,सरबडियाड आदि दूर दराज क्षेत्रों से कथा श्रवण करनें को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी व कथा श्रवण कर महाभण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया।

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मुख्य व्यास शिव प्रसाद नौटियाल,मंदिर समिति अध्यक्ष उपेंद्र असवाल, नगर पंचायत अध्यक्ष हरिमोहन नेगी,बृजमोहन सजवाण, जयवीर सिंह रावत,ओमप्रकाश,चमन प्रकाश,डॉ0 राधेश्याम बिजल्वाण आदि लोगों ने सात दिनों तक पुराण श्रवण करने वाले श्रृद्धालुओं,देव पालकियों के पुजारियों,पंडितों एवं अष्टादश महापुराण कथा वक्ताओं,जनता व जनप्रतिनिधियों का आभार व्यक्त कर विदाई दी।

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